‘Passport Restrictions’ क्या लंबित आपराधिक मामला किसी को विदेश यात्रा से रोक सकता है?
परिचय: Criminal Law India और Passport Restrictions पर Bombay High Court का महत्वपूर्ण निर्णय क्या किसी व्यक्ति को Passport Restrictions या Travel Ban के आधार पर International Travel से रोका जा सकता है, अगर उसके खिलाफ Criminal Case लंबित हो? यह सवाल लंबे समय से Indian Legal System में बहस…
क्या किसी दुर्घटना को हत्या(IPC Section 304) माना जा सकता है? Supreme Court का बड़ा फैसला!
परिचय: Criminal Law India और IPC Section 304 पर Supreme Court का अहम निर्णय क्या किसी दुर्घटना में हुई मौत को आपराधिक लापरवाही (IPC Section 304A) या गैर-इरादतन हत्या (IPC Section 304 Part II) माना जा सकता है? यह सवाल भारत के आपराधिक कानून (Criminal Law India) में हमेशा विवादास्पद…
क्या मरते वक्त दिया गया बयान (Dying Declaration) ही सजा के लिए काफी है? Supreme Court का अहम फैसला!
क्या मरने से पहले दिया गया बयान(Dying Declaration) किसी को फाँसी या उम्रकैद दिलाने के लिए पर्याप्त होता है? यह सवाल भारतीय आपराधिक न्याय व्यवस्था में हमेशा चर्चा का विषय रहा है। हाल ही में, Supreme Court ने Suresh बनाम राज्य (2025 INSC 318) मामले में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया,…
POCSO Act vs IPC: Supreme Court का बड़ा फैसला, किस कानून के तहत मिलेगी सख्त सजा?
क्या कोई पिता अपनी ही संतान के साथ इस हद तक जा सकता है कि उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाए? क्या किसी नाबालिग के खिलाफ अपराध में POCSO Act या IPC, कौन सा कानून प्राथमिकता रखता है? इन्हीं सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है,…
Delhi Development Authority (DDA) Vs S.G.G. Towers Pvt. Ltd: एक भूमि विवाद की पूरी कहानी
यह एक बड़ा मामला है – Delhi Development Authority (DDA) Vs S.G.G. Towers Pvt. Ltd. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया जिसने सरकारी जमीनों की बिक्री और लीज़ से जुड़े नियमों को और भी सख्त कर दिया। इस केस में जो सबसे बड़ा सवाल था – क्या बिना…
CrPC Section 319: अपराध में शामिल नए अभियुक्तों को मुकदमे में जोड़ने की शक्ति
परिचय भारत की न्यायिक व्यवस्था में निष्पक्षता और न्याय को सबसे ऊपर रखा जाता है। यह व्यवस्था इस बात को सुनिश्चित करती है कि हर व्यक्ति को उचित न्याय मिले, चाहे वह आरोपी हो या पीड़ित। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जांच के दौरान कुछ आरोपी छूट जाते…
Supreme Court ने बलात्कार के मामले में आरोपी को क्यों दिया लाभ? जानिए मेडिकल सबूत(Medical Evidence), विरोधी गवाह(Hostile Witness) और FIR में देरी का असर!
परिचय भारतीय न्याय प्रणाली में बलात्कार के मामले न केवल संवेदनशील होते हैं, बल्कि इनमें मेडिकल साक्ष्य (Medical Evidence) और गवाहों के बयानों (Witness Statement) का बहुत अधिक महत्व होता है। ऐसा ही एक मामला राजेश कुमार उर्फ मन्नू बनाम हिमाचल प्रदेश सरकार का है, जिसमें Supreme Court ने हाई…
पत्नी को पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर करना सपनों को कुचलने जैसा। Madhya Pradesh High Court ने कहा – यह Mental Cruelty है!
भारतीय न्यायपालिका में शादी और तलाक के मामले अक्सर बहुत जटिल और भावनात्मक होते हैं। ऐसा ही एक मामला Madhya Pradesh High Court के इंदौर बेंच में सामने आया, जहां एक महिला को तलाक देते हुए कोर्ट ने कहा कि पत्नी को उसकी पढ़ाई जारी रखने से रोकना या उसे…
Karan Johar ने ‘Shadi Ke Director Karan Aur Johar’ केस में Personality Rights और Right to Privacy की लड़ाई कैसे जीती? Bombay High Court का ऐतिहासिक फैसला।
बॉलीवुड के प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और निर्देशक करण जौहर(Karan Johar) ने हाल ही में Bombay High Court में अपने "Personality Rights" और "Right to Privacy" की रक्षा के लिए एक बड़ी कानूनी जीत हासिल की। यह मामला फिल्म "शादी के डायरेक्टर करण और जौहर" (Shaadi Ke Director Karan Aur Johar)…
चेक बाउंस केस(Cheque Bounce) में बड़ा फैसला! सुप्रीम कोर्ट ने कहा – ‘यहां दायर होगा केस, ट्रांसफर नहीं!’ | जानें पूरा मामला
भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में M/s श्री सेंधुर एग्रो एंड ऑयल इंडस्ट्रीज बनाम कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड(M/S SHRI SENDHURAGRO AND OIL INDUSTRIES PRANAB PRAKASH v. KOTAK MAHINDRA BANK LTD.) मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें ट्रांसफर याचिका को खारिज कर दिया गया। यह मामला नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट,…