भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसमें विशाल शाह और मोनालिसा गुप्ता के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद को सुलझाया गया है। यह मामला न केवल तलाक(Divorce) और गुज़ारा भत्ते (Alimony) से जुड़ा है, बल्कि पासपोर्ट जब्त करने (Passport Impounding) और अंतरराष्ट्रीय कानून (International Law) के मुद्दों को भी छूता है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने न केवल कानूनी प्रणाली में नई मिसाल कायम की है, बल्कि यह अन्य वैवाहिक विवादों के लिए भी एक महत्वपूर्ण दिशानिर्देश बन सकता है।
इस ब्लॉग में, हम इस मामले के हर पहलू को विस्तार से समझेंगे और जानेंगे कि कैसे सुप्रीम कोर्ट ने इस जटिल मामले को सुलझाया।
मामले की पृष्ठभूमि (Case Background)
विशाल शाह और मोनालिसा गुप्ता का विवाह 19 फरवरी 2018 को हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार संपन्न हुआ था। शादी के बाद, दोनों अमेरिका चले गए, जहां विशाल एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम कर रहे थे। हालांकि, शादी के महज 80 दिनों के भीतर ही उनके रिश्ते में दरार आ गई। मोनालिसा ने विशाल और उनके परिवार के खिलाफ कई मामले दर्ज कराए, जिसके चलते विशाल का पासपोर्ट जब्त कर लिया गया और उन्हें भारत आने से रोक दिया गया।
वर्ष 2018 से 2020 के बीच, प्रतिवादी अपनी सास के साथ उसी घर में रही। अपीलकर्ता के अनुसार, इस अवधि के दौरान प्रतिवादी ने उसकी मां के साथ गंभीर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया, जिसके कारण उन्हें 14 सितंबर 2020 को घर छोड़कर अपनी बेटी के घर शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। परिणामस्वरूप, अपीलकर्ता की मां द्वारा प्रतिवादी के खिलाफ शिकायत मामला संख्या 446C/2020 दर्ज कराया गया, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धाराओं 323, 341, 342, 379, 403, 504, 506 और 120B के तहत अपराध दर्ज किए गए।
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मुख्य मुद्दे (Key Issues)
- तलाक और गुज़ारा भत्ता (Divorce and Alimony):
विशाल ने सुप्रीम कोर्ट में तलाक की याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनका विवाह पूरी तरह से टूट चुका है (Irretrievable Breakdown of Marriage)। उन्होंने मोनालिसा को 25 लाख रुपये की एकमुश्त राशि गुज़ारा भत्ते के रूप में देने का प्रस्ताव भी रखा। - पासपोर्ट जब्त करना (Passport Impounding):
विशाल का पासपोर्ट 3 अक्टूबर 2018 को जब्त कर लिया गया था, क्योंकि मोनालिसा ने उनके खिलाफ कई मामले दर्ज कराए थे। विशाल ने दावा किया कि उन्हें पासपोर्ट जब्त करने से पहले सुनवाई का मौका नहीं दिया गया, जो कि प्राकृतिक न्याय (Natural Justice) के सिद्धांतों के खिलाफ है। - अंतरराष्ट्रीय कानून (International Law):
विशाल अमेरिका में रह रहे थे, और उनके पासपोर्ट जब्त होने के कारण वे भारत नहीं आ सके। इसके चलते, उन्हें अदालत में पेश होने के लिए प्रत्यर्पण (Extradition) की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया गया।
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला (Supreme Court Judgment)
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए, जो न केवल विशाल और मोनालिसा के लिए, बल्कि भारतीय कानूनी प्रणाली (Indian Legal System) के लिए भी मिसाल कायम करते हैं।
1. तलाक का आदेश (Divorce Decree)
सुप्रीम कोर्ट ने विशाल और मोनालिसा के बीच विवाह को तलाक के आधार पर भंग कर दिया। कोर्ट ने माना कि यह मामला विवाह के पूरी तरह से टूट जाने (Irretrievable Breakdown of Marriage) का एक स्पष्ट उदाहरण है। कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच कोई मेल-जोल (Reconciliation) संभव नहीं है, और विवाह को जारी रखने का कोई मतलब नहीं है।
2. गुज़ारा भत्ता (Alimony)
कोर्ट ने विशाल को मोनालिसा को 25 लाख रुपये की एकमुश्त राशि गुज़ारा भत्ते के रूप में देने का आदेश दिया। यह राशि दो महीने के भीतर जमा करनी होगी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर मोनालिसा इस राशि को लेने से इनकार करती है, तो यह राशि विशाल को वापस कर दी जाएगी।
3. पासपोर्ट की रिहाई (Passport Release)
सुप्रीम कोर्ट ने विशाल के पासपोर्ट को जब्त करने के आदेश को अवैध (Illegal) करार दिया। कोर्ट ने कहा कि पासपोर्ट जब्त करने से पहले विशाल को सुनवाई का मौका नहीं दिया गया, जो कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर विशाल का पासपोर्ट जारी करने का आदेश दिया।
4. सभी मामलों का निपटारा (Settlement of All Cases)
कोर्ट ने विशाल और मोनालिसा के बीच लंबित सभी मामलों को बंद करने का आदेश दिया। इसमें आपराधिक मामले (Criminal Cases), घरेलू हिंसा से जुड़े मामले (Domestic Violence Cases), और नागरिक मामले (Civil Cases) शामिल हैं।
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कानूनी सिद्धांत (Legal Principles)
इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण कानूनी सिद्धांतों को स्पष्ट किया, जो भविष्य में ऐसे मामलों के लिए मिसाल बन सकते हैं।
1. विवाह का पूरी तरह से टूट जाना (Irretrievable Breakdown of Marriage)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर विवाह पूरी तरह से टूट चुका है, और पक्षों के बीच कोई सामंजस्य संभव नहीं है, तो कोर्ट को संविधान के अनुच्छेद 142 (Article 142 of the Constitution) के तहत विवाह को भंग करने का अधिकार है।
2. पासपोर्ट जब्त करने की प्रक्रिया (Passport Impounding Process)
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पासपोर्ट जब्त करने से पहले व्यक्ति को सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए। पासपोर्ट जब्त करना एक गंभीर कदम है, और इसे बिना किसी वैध कारण के नहीं किया जाना चाहिए।
3. गुज़ारा भत्ता का निर्धारण (Determination of Alimony)
कोर्ट ने गुज़ारा भत्ता तय करते समय कई कारकों को ध्यान में रखा, जैसे कि पक्षों की आर्थिक स्थिति (Financial Status), विवाह के दौरान जीवन स्तर (Standard of Living), और पक्षों की आय (Income)।
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निष्कर्ष (Conclusion)
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल विशाल और मोनालिसा के लिए, बल्कि भारतीय कानूनी प्रणाली के लिए भी एक मिसाल है। इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि कोर्ट न्यायिक प्रक्रिया (Judicial Process) में पक्षों के अधिकारों (Rights of Parties) की रक्षा करने के साथ-साथ उनके भविष्य को भी सुरक्षित करने का प्रयास करता है।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जुड़े सवाल-जवाब (FAQs)
1. सुप्रीम कोर्ट ने विशाल शाह और मोनालिसा गुप्ता के मामले में क्या फैसला सुनाया?
सुप्रीम कोर्ट ने विशाल शाह और मोनालिसा गुप्ता के बीच विवाह को तलाक के आधार पर भंग कर दिया। कोर्ट ने यह फैसला “विवाह के पूरी तरह से टूट जाने” (Irretrievable Breakdown of Marriage) के आधार पर दिया। साथ ही, कोर्ट ने विशाल को मोनालिसा को 25 लाख रुपये की एकमुश्त राशि गुज़ारा भत्ते (Alimony) के रूप में देने का आदेश दिया।
2. विशाल शाह का पासपोर्ट क्यों जब्त किया गया था?
विशाल शाह का पासपोर्ट 3 अक्टूबर 2018 को जब्त कर लिया गया था, क्योंकि मोनालिसा गुप्ता ने उनके खिलाफ कई मामले दर्ज कराए थे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस कदम को अवैध (Illegal) करार दिया, क्योंकि विशाल को पासपोर्ट जब्त करने से पहले सुनवाई का मौका नहीं दिया गया था।
3. सुप्रीम कोर्ट ने पासपोर्ट जब्त करने पर क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पासपोर्ट जब्त करना एक गंभीर कदम है, और इसे बिना किसी वैध कारण के नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर विशाल का पासपोर्ट जारी करने का आदेश दिया।
4. गुज़ारा भत्ता (Alimony) कितना तय किया गया और क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने विशाल शाह को मोनालिसा गुप्ता को 25 लाख रुपये की एकमुश्त राशि गुज़ारा भत्ते के रूप में देने का आदेश दिया। यह राशि दोनों पक्षों की आर्थिक स्थिति (Financial Status), विवाह के दौरान जीवन स्तर (Standard of Living), और लंबे समय से अलग रहने की स्थिति को ध्यान में रखते हुए तय की गई।
5. विवाह के पूरी तरह से टूट जाने (Irretrievable Breakdown of Marriage) का क्या मतलब है?
विवाह के पूरी तरह से टूट जाने का मतलब है कि पति-पत्नी के बीच कोई सामंजस्य (Reconciliation) संभव नहीं है, और विवाह को जारी रखने का कोई मतलब नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस आधार पर विशाल और मोनालिसा के विवाह को भंग कर दिया।
6. सुप्रीम कोर्ट ने लंबित मामलों को कैसे निपटाया?
सुप्रीम कोर्ट ने विशाल शाह और मोनालिसा गुप्ता के बीच लंबित सभी मामलों को बंद करने का आदेश दिया। इसमें आपराधिक मामले (Criminal Cases), घरेलू हिंसा से जुड़े मामले (Domestic Violence Cases), और नागरिक मामले (Civil Cases) शामिल हैं।
7. सुप्रीम कोर्ट ने प्राकृतिक न्याय (Natural Justice) के सिद्धांतों पर क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पासपोर्ट जब्त करने जैसे गंभीर कदम उठाने से पहले व्यक्ति को सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों (Principles of Natural Justice) के अनुरूप है।
8. क्या यह फैसला भविष्य के मामलों के लिए मिसाल बनेगा?
हां, सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भविष्य में ऐसे मामलों के लिए एक मिसाल (Precedent) बन सकता है, खासकर विवाह के पूरी तरह से टूट जाने (Irretrievable Breakdown of Marriage) और पासपोर्ट जब्त करने (Passport Impounding) से जुड़े मामलों में।
9. विशाल शाह और मोनालिसा गुप्ता के बीच विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
विशाल और मोनालिसा का विवाह 19 फरवरी 2018 को हुआ था, लेकिन शादी के महज 80 दिनों के भीतर ही उनके रिश्ते में दरार आ गई। मोनालिसा ने विशाल और उनके परिवार के खिलाफ कई मामले दर्ज कराए, जिसके चलते यह विवाद कोर्ट तक पहुंच गया।
10. सुप्रीम कोर्ट ने गुज़ारा भत्ता तय करते समय किन कारकों को ध्यान में रखा?
सुप्रीम कोर्ट ने गुज़ारा भत्ता तय करते समय कई कारकों को ध्यान में रखा, जैसे कि पक्षों की आर्थिक स्थिति (Financial Status), विवाह के दौरान जीवन स्तर (Standard of Living), और पक्षों की आय (Income)।