Indian Law Query
  • Top Stories
  • Supreme Court
  • High Court
  • Legal Help
Notification Show More
Latest News
498A IPC
एक IPS पत्नी ने 498A IPC में लगाए पति पर झूठे आरोप, सुप्रीम कोर्ट में मांगी माफ़ी – क्या है असली कहानी?
Supreme Court Top Stories
Matrimonial Dispute
BREAKING | No Quick Arrests In 498A FIRs In Matrimonial Disputes; Supreme Court Backs Family Welfare Committees
Top Stories Supreme Court
DNA Evidence
DNA Evidence Report सिर्फ पितृत्व साबित करती है, बलात्कार मामले में सहमति(Consent) का अभाव स्थापित नहीं कर सकती: Delhi High Court
High Court
Motor Accident Claims
Motor Accident Claims | विदेश में कमाने वाले पीड़ितों को भी मिलेगा पूरा दुर्घटना का मुआवजा – Supreme Court
Supreme Court
Tenant VS Landlord Rent Disputes
किराए की बढ़ी रकम का एकमुश्त बोझ किरायेदार(Tenant) पर न डाला जाए, किस्तों में भुगतान हो- Kerala High Court
High Court Top Stories
Aa
Indian Law Query
Aa
  • Top Stories
  • Supreme Court
  • High Court
  • Legal Help
  • Top Stories
  • Supreme Court
  • High Court
  • Legal Help
Follow US
Indian Law Query > Supreme Court > PMLA | जब्त संपत्ति को रखने के लिए व्यक्ति का आरोपी होना जरूरी नहीं : Supreme Court
Supreme CourtTop Stories

PMLA | जब्त संपत्ति को रखने के लिए व्यक्ति का आरोपी होना जरूरी नहीं : Supreme Court

JagDeep Singh
Last updated: 2025/03/23 at 4:03 PM
JagDeep Singh
Share
7 Min Read
PMLA
SHARE
शेयर करें और जागरूकता बढ़ाएं! 🔗⚖️

परिचय: क्यों यह केस महत्वपूर्ण है?

हाल ही में, Supreme Court of India ने Union of India vs J.P. Singh के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जो Prevention of Money Laundering Act (PMLA), 2002 के तहत संपत्ति जब्ती और जब्ती के आदेश की अवधि को लेकर स्पष्टता प्रदान करता है।
क्या आप जानते हैं कि भारत में मनी लॉन्ड्रिंग(Money Laundering) के मामलों में संपत्ति जब्ती और जब्ती के आदेश की अवधि क्या होती है? यह सवाल न केवल कानूनी पेशेवरों के लिए, बल्कि निवेशकों, व्यवसायियों और आम नागरिकों के लिए भी अहम है।

Contents
परिचय: क्यों यह केस महत्वपूर्ण है?Also Read- Delhi Development Authority (DDA) Vs S.G.G. Towers Pvt. Ltd: एक भूमि विवाद की पूरी कहानीकेस की पृष्ठभूमि: क्या हुआ था?मामले की मुख्य घटनाएं:Supreme Court का फैसला: क्या कहा गया?न्यायाधीशों का मुख्य बयान:Click Here to Read Full Orderफैसले का प्रभाव और व्यावहारिक निहितार्थAlso Read- घर खरीदारों को राहत, Greater Noida Industrial Development Authority (GNIDA) को फटकार! सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसलानिष्कर्षAlso Read- Land Acquisition Act के तहत अधिग्रहित भूमि निजी समझौते से वापस नहीं दी जा सकती!

यह फैसला न केवल कानूनी प्रक्रियाओं को समझने में मददगार है, बल्कि यह उन लोगों के लिए भी एक चेतावनी है जो मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर अपराधों में शामिल हो सकते हैं। अगर आप एक निवेशक, व्यवसायी या कानूनी पेशेवर हैं, तो यह केस आपके लिए बेहद प्रासंगिक है।


Also Read- Delhi Development Authority (DDA) Vs S.G.G. Towers Pvt. Ltd: एक भूमि विवाद की पूरी कहानी


केस की पृष्ठभूमि: क्या हुआ था?

केस का नाम: Union of India vs J.P. Singh
कोर्ट: Supreme Court of India
तारीख: 5 मार्च, 2025

मामले की मुख्य घटनाएं:

  • 17 मार्च, 2017: Enforcement Directorate (ED) ने J.P. Singh और अन्य के खिलाफ एक ECIR (Enforcement Case Information Report) दर्ज की। यह Enforcement Directorate (ED) द्वारा दर्ज की जाने वाली एक आंतरिक रिपोर्ट होती है।
  • 13 अक्टूबर, 2017: ED ने J.P. Singh के घर और कार्यालय पर छापा मारकर कई इलेक्ट्रॉनिक आइटम, दस्तावेज और नकदी जब्त की।
  • 4 अप्रैल, 2018: Adjudicating Authority ने PMLA की धारा 8(3) के तहत एक आदेश पारित किया, जिसमें संपत्ति की जब्ती को मंजूरी दी गई।
  • 25 अप्रैल, 2019: Appellate Authority ने फैसला सुनाया कि PMLA की धारा 8(3) के तहत जब्ती का आदेश 90 दिनों के बाद समाप्त हो जाएगा।
  • 16 फरवरी, 2022: Gujarat High Court ने Appellate Authority के फैसले को बरकरार रखा।

मुख्य मुद्दा:
क्या PMLA की धारा 8(3) के तहत संपत्ति जब्ती का आदेश केवल 90 दिनों तक ही मान्य होगा, या यह मामले के निपटारे तक जारी रहेगा?


Supreme Court का फैसला: क्या कहा गया?

Supreme Court ने इस मामले में एक स्पष्ट और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। आइए इसे सरल बिंदुओं में समझते हैं:

  1. PMLA की धारा 8(3) की व्याख्या:
    • Supreme Court ने कहा कि 14 मई, 2015 से 18 अप्रैल, 2018 तक PMLA की धारा 8(3) के तहत जब्ती का आदेश मामले के निपटारे तक जारी रहता है।
    • इस अवधि में, धारा 8(3)(a) में कोई समय सीमा नहीं थी, जिसका अर्थ है कि जब्ती का आदेश मामले के निपटारे तक जारी रह सकता है।
  2. Appellate Authority और High Court की गलती:
    • Appellate Authority और High Court ने 19 अप्रैल, 2018 से लागू हुए संशोधित धारा 8(3) को लागू किया, जिसमें 90 दिनों की समय सीमा थी।
    • Supreme Court ने कहा कि यह संशोधन 4 अप्रैल, 2018 को पारित आदेश पर लागू नहीं होता, क्योंकि यह उससे पहले का मामला था।
  3. फैसले का प्रभाव:
    • Supreme Court ने High Court और Appellate Authority के फैसले को रद्द कर दिया और Adjudicating Authority के आदेश को बहाल किया।
    • Court ने स्पष्ट किया कि जब्ती का आदेश मामले के निपटारे तक जारी रहेगा।

न्यायाधीशों का मुख्य बयान:

“इसलिए, हम Gujarat High Court के 16 फरवरी, 2022 के आदेश और Appellate Tribunal के 25 अप्रैल, 2019 के आदेश को रद्द करते हैं और Adjudicating Authority के 4 अप्रैल, 2018 के आदेश को बहाल करते हैं, यह स्पष्ट करते हुए कि यह आदेश शिकायत के निपटारे तक जारी रहेगा।”


Key Statement from the Judges:

“Accordingly, we quash and set aside the impugned judgment and order dated 16th February, 2022 of the High Court and the impugned order dated 25th April, 2019 passed by the Appellate Tribunal and restore the order dated 4th April, 2018 passed by the Adjudicating Authority with a clarification that the same shall continue to remain in force till the disposal of the complaint.”


Click Here to Read Full Order


फैसले का प्रभाव और व्यावहारिक निहितार्थ

Supreme Court के इस फैसले के कई महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं:

  1. कानूनी पेशेवरों के लिए:
    • यह फैसला PMLA के तहत संपत्ति जब्ती और जब्ती के आदेश की अवधि को लेकर स्पष्टता प्रदान करता है।
    • वकीलों को अब इस बात का ध्यान रखना होगा कि किस समयावधि में कौन सा संशोधन लागू होता है।
  2. निवेशकों और व्यवसायियों के लिए:
    • यह फैसला उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर अपराधों में शामिल हो सकते हैं।
    • संपत्ति जब्ती का आदेश लंबे समय तक जारी रह सकता है, जिससे व्यवसाय और निवेश प्रभावित हो सकते हैं।
  3. आम नागरिकों के लिए:
    • यह फैसला यह समझने में मददगार है कि कानूनी प्रक्रियाएं कैसे काम करती हैं और किस तरह से संपत्ति जब्ती की जा सकती है।

Also Read- घर खरीदारों को राहत, Greater Noida Industrial Development Authority (GNIDA) को फटकार! सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला


निष्कर्ष

Supreme Court का यह फैसला न केवल कानूनी स्पष्टता प्रदान करता है, बल्कि यह मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर अपराधों से निपटने में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, यह फैसला यह भी दर्शाता है कि कानूनी प्रक्रियाएं कितनी जटिल हो सकती हैं और किस तरह से छोटी-छोटी गलतियों का बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।

आपकी राय क्या है? क्या आपको लगता है कि यह फैसला न्यायसंगत है? क्या यह मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में संपत्ति जब्ती को लेकर सही दिशा में एक कदम है? अपने विचार कमेंट में साझा करें!

Legal Disclaimer: यह ब्लॉग केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे कानूनी सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। किसी विशिष्ट मामले में कानूनी सलाह के लिए कृपया एक योग्य वकील से परामर्श करें।


Also Read- Land Acquisition Act के तहत अधिग्रहित भूमि निजी समझौते से वापस नहीं दी जा सकती!


TAGGED: Justice Abhay S Oka, Justice N Kotiswar Singh, Money laundering, PMLA, Prevention of Money Laundering Act, Union of India vs J.P. Singh
Share this Article
Facebook Twitter Copy Link Print
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Might Also Like

498A IPC
Supreme CourtTop Stories

एक IPS पत्नी ने 498A IPC में लगाए पति पर झूठे आरोप, सुप्रीम कोर्ट में मांगी माफ़ी – क्या है असली कहानी?

July 24, 2025
Matrimonial Dispute
Top StoriesSupreme Court

BREAKING | No Quick Arrests In 498A FIRs In Matrimonial Disputes; Supreme Court Backs Family Welfare Committees

July 23, 2025
Motor Accident Claims
Supreme Court

Motor Accident Claims | विदेश में कमाने वाले पीड़ितों को भी मिलेगा पूरा दुर्घटना का मुआवजा – Supreme Court

March 26, 2025
Tenant VS Landlord Rent Disputes
High CourtTop Stories

किराए की बढ़ी रकम का एकमुश्त बोझ किरायेदार(Tenant) पर न डाला जाए, किस्तों में भुगतान हो- Kerala High Court

March 24, 2025
Indian Law QueryIndian Law Query
Follow US

© 2025 Indian Law Query. All Rights Reserved.

  • About – Indian Law Query
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions

Removed from reading list

Undo
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?